Wednesday, 30 July 2025

मानक हिन्दी का व्याकरण

 *      आधुनिक हिन्दी के तीन प्रमुख मानक व्याकरण हैं:-

   1- कामता प्रसाद गुरू कृत हिन्दी व्याकरण

   2- किशारी दास वाजपेयी कृत हिन्दी शब्दानुशासन

   3- जाल्मन दीमशित्स कृत हिन्दी व्याकरण

*      किसी भी भाषा के व्याकरण में मुख्य रूप से शब्द विचार और वाक्य विचार पर विचार किया जाता है।

*      हिन्दी शब्दों के दो रूप होते हैं- विकारी और अविकारी ।

*      किसी बोले गए शब्द को लिखित अक्षरों के रूप में दृष्टिगोचर बनाने की प्रक्रिया को वर्तनी कहते हैं।

*      वर्तनी की सार्थकता इस बात में है कि लिखित शब्द को पढ़कर कोई भी व्यक्ति उसका सही उच्चारण करने में समर्थ हो।

*      देवनागरी अक्षर लिपि है जबकि रोमन वार्णिक लिपि है।

*      देवनागरी का सर्वप्रथम प्रयोग गुजरात के राजा जयभट्ट (7-8वीं शती में) के एक शिलालेख में हुआ है।

*      देवनागरी लिपि में एक वर्ण से एक ही ध्वनि का संकेत होता है और एक ध्वनि के लिए एक ही वर्ण होता है।

*      देवनागरी लिपि में प्रत्येक अक्षर का उच्चारण होता है। किसी भी शब्द में कोई भी अक्षर मूक नही होता है।

*      देवनागरी लिपि में वर्णो के नाम उच्चारण के अनुरूप हैं।

*      देवनागरी लिपि में वर्णमाला का क्रम वैज्ञानिक है। 

*      बाल गंगाधर तिलक के केसरी में खड़ी बोली के जिन टाइपों को इस्तेमाल होता था, उसे तिलक फ़ांट कहा जाता था।

*      1935 में नागरी लिपि सुधार समिति के संयोजक काका साहब कालेलकर थे ।  

*      शिक्षा मंत्रलय द्वारा पहली बार 1966 में मानक देवनागरी वर्णमालाप्रकाशित की गई ।

*      1983 में केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय द्वारा देवनागरी लिपि तथा हिन्दी वर्तनी का मानकीकरण प्रकाशित किया गया ।

*      जहां पंचमाक्षर (ङ् ् ण् न् म्) का संयोग अपने वर्ग के पहले चार व्यंजनों के साथ होता है वहां अनुस्वार का प्रयोग होना चाहिए, जैसे- गंगा, चंचल, ठंडा |

*      जहां पंचमाक्षर (ङ् ् ण् न् म्) का संयोग अपने वर्ग के पहले चार व्यंजनों से भिन्न व्यंजनों के साथ होता है वहां पंचमाक्षर का ही प्रयोग होगा, अनुस्वार का नही होगा, जैसे- अन्य, वामय, उन्मत ।

*      अनुस्वार(बिन्दी) व्यंजन का गुण है जबकि अनुनासिक(चंद्रविन्दु) स्वर का गुण है।                       

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