Tuesday 17 October 2023

हमास का समर्थन आतंकवाद का समर्थन

जिहादी शैतानों ने 7 अक्टूबर को इजरायल ने जिस तरह से हैवानियत का तांडव किया वैसा ही पाकिस्तान से आए लश्कर और जैश के आतंकियों ने मुंबई में किया था। निःसंदेह मुंबई के मुकाबले इजरायल में किया गया हमला कई गुना भीषण था। बर्बरता और क्रूरता का नंगा नाच 1990 में भारत के कश्मीर में भी किया था| जगह बदल गया, चेहरे बदल गए लेकिन मजहबी सोच, जिहादी बर्बरता और वह्सीपन कायम रही। कश्मीर में गिरिजा टिक्कू तो इजरायल में शानी लौक, एक मजहबी सोच ने यहूदी और हिंदुओं को सदियों तक तबाह किया है। कश्मीरी पंडितों की बस्तियों में सामूहिक बलात्कार और लड़कियों के अपहरण किए गए। नरसंहार में सैकड़ों पंडितों का कत्लेआम हुआ। लाखों कश्मीरी पंडित अपना घर-बार छोड़कर पलायन करने पर मजबूर हुए थे। इसी तरह इजरायल में सैकड़ों यहूदियों की हत्या कर दी गई। जिहादी आतंकवादियों ने लड़कियों, महिलाओं के साथ बलात्कार किया, उनका अपहरण कर लिया। केवल एक गांव में 40 बच्चों को मार दिया गया। जिहादियों ने बर्बरता की सीमा पार करते हुए उनका गला तक काट दिया। इससे हम अनुमान लगा सकते है इन जिहादी शैतानों ने जब आठवीं सदी के बाद भारत में आक्रमण किया था और अधिपत्य किया था तब किस तरह की बर्बरता और क्रूरता का तांडव किया होगा |

ये जिहादी सोच वाले दरिंदे हैं, यह राक्षस हैं जो पूरी इंसानियत और मानवता के लिए खतरा है और जो इनका समर्थन कर रहे हैं वह इसे भी बड़ा दरिंदा है। ईरान और यमन ने हमास के हमले का खुले तौर पर समर्थन किया है | इजरायल में हमास के नरसंहार के बाद आतंकियों का एक बड़ा समूह सोशल मीडिया पर प्रोपगेंडा फैलाने की कोशिश कर रहा है। यह आतंकियों के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश है | सोशल मीडिया पर हमास को शांति दूत बताने के लिए किस तरह से फर्जी नैरेटिव फैलाया जा रहा है| देश के कट्टरपंथी मानसिकता मुस्लिम संगठन खुलकर हमास के समर्थन में तेरा-मेरा रिश्ता क्या, ला इलाहा इल्लल्लाहऔर अल्लाह हु अकबर के मजहबी नारे लगा रहे हैं, प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन ऐसे लोगों ने एक बार भी देश के रुख के साथ खड़े होकर इजरायल पर हमास के आतंकी हमले का विरोध तक नहीं किया। इन लोगों को हर आतंकी घटना के पीछे न्याय दिखता है| देश में भी अगर एक वर्ग आतंकी वारदात करता है तो वह उसे न्यायोचित बताने लगता है | वे फिलिस्तीन और हमास आतंकवादियों के बीच अंतर नहीं कर पाते|

इस मामले में सबसे हास्यास्पद स्थिति कांग्रेस की है| वह मुसलमानों के वोट के लिए हमास के आतंकी हमले की निंदा कर नहीं सकती | दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसी भी तरह के आतंकवाद के विरुद्ध  इज़राइल का साथ देकर कांग्रेस के लिए और भी संकट की स्थिति पैदा कर दी हैं| फिलिस्तीन का साथ देना उसकी मजबूरी है और इजराइल का विरोध करना भी| कांग्रेस कार्यसमिति ने 09 अक्टूबर, 2023 को पारित प्रस्ताव में इजरायल में एक हजार से अधिक लोगों के मौत के लिए जिम्मेदार आतंकी संगठन हमास का जिक्र नहीं किया| कांग्रेस ने ऐसे समय में हमास का समर्थन किया है, जब भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर इजरायल का समर्थऩ किया है और आतंकी हमले पर अपना विरोध दर्ज कराया है। फिलिस्तीन की मांग और आतंकवाद दो अगल-अलग चीजें हैं। भारत की मोदी सरकार किसी भी देश की उचित मांग के साथ खड़ी है, लेकिन आतंकवाद को लेकर उसकी जीरो टॉलरेंसकी नीति है। इस तरह आज इजराइल का विरोध करके वह हमास के आतंक का समर्थन कर जाती है |