Thursday 19 January 2023

तुलसीदास के भगवान की माया को समझना मंत्री जी के वश का नहीं

 बाबा तुलसीदास और उनके रामचरित मानस पर बिहार के मंत्रीजी ने जो बयान दिया है, वह नया नहीं है | रागदरबारी के शनिचर की तरह मंत्रीजी की विद्वता और विनम्रता तो सवालों के घेरे में नहीं है | हिंदी साहित्य के कई आलोचकों ने तुलसीदास को ब्राह्मणवादी और जातिवादी का टैग लगाकर ख़ारिज करने की कोशिश की है लेकिन तुलसीदास और उनकी राम-भक्ति की शक्ति ऐसी है कि वह उतनी ही प्रखरता के साथ उनके रामचरितमानस को स्थापित कर जाती है |  

तुलसीदास जी अपने समय में मंत्रीजी जैसे जातिवादियों, विधर्मियों और मूर्खों के उत्पात से परिचित थे और उन्हें यह भी विश्वास था कि ये हर युग में अपनी करतूतों से मानवता को पीड़ा देते रहेंगे | इसलिए उन्होंने रामचरितमानस में ऐसे जातिवादी और विधर्मी खलों/दुष्टों को भी महत्त्व देते हुए उनकी वंदना भी की है | उन्हें पता था कि खलों के उत्पात का भी लाभ मिलता है। वर्तमान समय में भी जातिवादी और विधर्मी जैसे खल/दुष्ट तुलसीदास और उनके मानस पर हमला करते हैं और वे चर्चा में आ जाते हैं और कुछ अच्छी बातें सामने आ जाती हैं|  

असल में जिन लोगों ने तुलसीदास को ब्राह्मणवादी और जातिवादी होने का आरोप लगाया है वे या तो अपने जातिवादी मानसिकता से बाहर निकले ही नहीं या वामपंथी बुद्धिभंगिता से ग्रस्त होने के कारण कभी समाज के उस निचले स्तर पर उतरे ही नहीं, जहाँ एक कवि लगभग 600 वर्ष पहले लोकजीवन में मंगल का विधान और अमंगलों के विनाश के लिए सुरसरि के समान सबका हित करने वाली ‘रामचरितमानस’ की रचना करता है | लोक में व्याप्त विषमता और उससे होने वाले कष्टों को दूर करने की मंगलकामना का ही चमत्कार है कि वे रावण जैसे ब्राह्मण के प्रकांड विद्वान होने के बावजूद के उसके वध को सम्पूर्ण भारत के ब्राह्मणों के घरों में असत्य पर सत्य की विजय के उत्सव के रूप में दर्जा दिलवा देते हैं|

केवल 'पूजिय विप्र सकल गुण हीना' कहने से तुलसीदास को ब्राह्मणवादी होने का आरोप वही लगा सकता है जिसका अपना कोई कुत्सित जातिवादी या राष्ट्र की लोकचेतना को छिन्न-भिन्न करने का एजेंडा है | रावण के प्रकांड विद्वान, शिव भक्त, परम तपस्वी और प्रचंड बलशाली योद्धा के साथ ही सारस्वत ब्राह्मण वंशीय ऋषि पुलत्स्य का पौत्र और विसश्रवा का पुत्र होने के बावजूद तुलसीदास की नजर में वह सबसे बड़ा खलनायक है। अगर तुलसी ब्राह्मणवादी या वर्णवादी होते तो एक इक्ष्वाकु वंश के क्षत्रिय राम से उसका वध नहीं करवाते| यही नहीं, सीता स्वयंवर और धनुष यज्ञ के बाद ब्राह्मणों के नायक परशुराम की खिल्ली भी उड़ाई है|

तुलसीदास से पहले कबीर तो ब्राह्मणों को उनके प्रतिक्रियावादी चरित्र के लिए डांट-फटकार तक ही रह जाते हैं | लेकिन तुलसीदास तो वैभवशाली ब्राह्मण वंश का विनाश कर देते है | यह तुलसीदास की रचना-शक्ति और उनके भगवान की माया ही ऐसी हैं जो मंत्री जी जैसों और आज के कथित सेकुलरों, और वामपंथी बुद्धिभंगियों को भ्रमित कर देती है ।

Friday 13 January 2023

जोशीमठ में संकट का कारण एनटीपीसी का टनल, सीनियर पर्यावरण विशेषज्ञ का दावा

 जोशीमठ में लोगों के उजरते आशियाना का कारण कई बताए जा रहे हैं। 47 साल पहले वर्ष 1976 में मिश्रा कमेटी ने जोशीमठ में अंधाधुंध विकास से लैंडस्लाइड जैसी स्थिति उत्पन्न होने की आशंका जताई थी। वहीं, स्थानीय लोगों का दावा है कि जोशीमठ की ताजा स्थिति के पीछे एनटीपीसी के टनल को जिम्मेदार बताया था। लोगों की आशंकाओं पर सीनियर पर्यावरण विशेषज्ञ रवि चोपड़ा भी मुहर लगाते दिख रहे हैं।  उन्होंने कहा कि यह मानने के पर्याप्त कारण हैं कि जोशीमठ में आज जो कुछ हम देख रहे हैं, वह एनटीपीसी की ओर से किए गए टनल के निर्माण का परिणाम है।

विशेष जानकारी के लिए लिंक : 

https://navbharattimes.indiatimes.com/state/uttarakhand/dehradun/joshimath-landslide-envirnmentalist-says-enough-reason-to-believe-crisis-result-of-ntpc-tunnel/articleshow/96960544.cms