अमेरिकी डिपॉजिटरी रसीद (American Depositary Receipt
- ADR)
यह किसी अमेरिकी डिपॉजिटरी बैंक द्वारा जारी किए गए
समझौतापरक प्रमाण-पत्र हैं जो अमेरिकी एक्सचेंज में ट्रेड होने वाले किसी विदेशी स्टॉक(गैर-अमेरिकी कंपनी) के एक या आधी शेयरों का या उसके एक हिस्से का प्रतिनिधित्व
करते हैं। एडीआर का ट्रेड
अन्य शेयरों की तरह ही होता है। अमेरिकी डिपॉजिटरी रसीद(एडीआर) को अमेरिकी डॉलर व्यक्त किया जाता है जिसकी वास्तविक
सिक्योरिटी विदेशी अमेरिकी वित्तीय संस्थाओं के पास होती है । यह विदेशी कंपनी के शेयर खरीदने का सबसे बेहतरीन जरिया है जिसका कोई
भी लाभांश (dividend) और पूंजीगत वृद्धि अमेरिकी डॉलर में प्राप्त होता है । यदि कोई निवेशक एडीआर लेता है तो वह उस विदेशी स्टॉक, जिसका एडीआर प्रतिनिधित्व करता है, को प्राप्त करने का अधिकारी होता है।
अमेरिकी निवेशक एडीआर लेना अधिक सुविधाजनक मानते हैं । एडीआर की कीमत अक्सर उस विदेशी स्टॉक की कीमत के आसपास ही होती है । लेकिन एडीआर उस देश, जहाँ की
कंपनी है, में मुद्राओं से जुड़े और आर्थिक एवं राजनीतिक जोखिमों
को खत्म नहीं करता है । जैसे कि किसी भारतीय कंपनी का एडीआर भारतीय मुद्रा रुपये और भारतीय आर्थिक एवं
राजनीतिक हलचलों से मुक्त नहीं
होता है । एडीआर धारकों को लेकर डिपॉजिटरी बैंक की अनेक जिम्मेदारियाँ होती हैं । डिपॉजिटरी बैंक बैंक ऑफ न्यूयार्क सबसे बड़ा डिपॉजिटरी बैंक है । सबसे पहले एडीआर 1927 में जेपी मॉर्गन द्वारा
ब्रिटेन की रीटेलर सेलफ्रीज के लिए जारी किया गया ।
अमेरिकी डिपॉजिटरी शेयर
आमतौर पर एडीआर और एडीएस एक
ही माने जाते हैं। अमेरिकी एक्सचेंज में ट्रेड होने वाले किसी विदेशी स्टॉक(गैर-अमेरिकी कंपनी) के शेयरों का का प्रतिनिधित्व करने वाले अमेरिकी डिपॉजिटरी रसीद को ही अमेरिकी डिपॉजिटरी
शेयर कहा जाता है । लेकिन अंतर सिर्फ यह है कि एडीएस वास्तविक शेयर कारोबार की तरह
है, जबकि एडीआर के तहत कई एडीएस हो सकते हैं।
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