Wednesday, 16 July 2025

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (Index of Industrial Production -IIP)

 

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (Index of Industrial Production -IIP)

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक(आईआईपी) किसी विशेष समयांतराल में किसी आधार अवधि के सापेक्ष औद्योगिक उत्पादन की स्थिति को व्यक्त करता है । दूसरे शब्दों में किसी आधार अवधि के सापेक्ष यह किसी अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में वृद्धि को व्यक्त करता है । भारत में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक एक कंपोजिट इंडिकेटर है जो लघु अवधि में औद्योगिक उत्पादन में हुए बदलाव को मापता है । भारत में इसकी गणना प्रति माह की जाती है जिसके लिए आधार वर्ष 2004-05 है। किसी महीने की आईआईपी उस महीने के छह हफ्ते के अंदर जारी किया जाता है। आईआईपी के अनुमान के लिए 15 एजेंसियों से आंकड़े जुटाए जाते हैं। इनमें औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग(), भारतीय खनन ब्यूरो, केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन और केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण शामिल हैं। यह जरूरी नहीं है कि किसी खास महीने का सूचकांक तैयार करते समय उत्पादन से संबंधित सभी आंकड़े मौजूद हों, इसलिए पहले अस्थाई (प्रोविजनल) सूचकांक तैयार करने के बाद जारी कर दिया जाता है, बाद के महीनों में इसमें दो बार संशोधन करके वास्तविक सूचकांक जारी किया जाता है।

सबसे पहले 1937 को आधार वर्ष मानते हुई औद्योगिक उत्पादन सूचकांक तैयार किया गया था। इसमें 15 उद्योगों को शामिल किया गया था। तब से अब तक इसमें कम से कम सात बार संशोधन किया जा चुका है। इंडेक्स को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए आधार वर्ष और इसमें शामिल उत्पादों में बदलाव किया गया है। सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा जारी किए गए ताजा मानकों के मुताबिक किसी उत्पाद के इसमें शामिल किए जाने के लिए प्रमुख शर्त यह है कि वस्तु के उत्पादन के स्तर पर उसके उत्पादन का कुल मूल्य कम से कम 80 करोड़ रुपए होना चाहिए। इसके अलावा यह भी शर्त है कि वस्तु के उत्पादन के मासिक आंकड़े लगातार उपलब्ध होने चाहिए। इंडेक्स में शामिल वस्तुओं को तीन समूहों-माइनिंग, मैन्युफैक्चरिंग और इलेक्ट्रिसिटी में बांटा जाता है। फिर इन्हें उप-श्रेणियों मसलन-बेसिक गुड्स, कैपिटल गुड्स, इंटरमीडिएट गुड्स, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और कंज्यूमर नॉन-ड्यूरेबल्स में बांटा जाता है।

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