क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल
प्लेसमेंट
क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (क्यूआईपी)
कंपनियों के लिए पूंजी जुटाने का एक जरिया है। शेयर बाजार में सूचीबद्ध कंपनी
क्यूआईपी के तहत क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर (क्यूआईबी) को वॉरंट के अलावा शेयर, आंशिक या पूर्णत: परिवर्तनीय
डिबेंचर जैसी सिक्योरिटीज जारी कर पूंजी जुटाती है। ये सिक्योरिटी तय अवधि के बाद
शेयरों में परिवर्तित कर दी जाती हैं। प्रिफरेंशियल आवंटन के अलावा जल्द पूंजी
जुटाने का यह दूसरा जरिया है।
क्यूआईपी
की शुरुआत
सेबी ने घरेलू कंपनियों को कम अवधि
में बाजार से पैसे जुटाने की सुविधा देने के लिए 2006 में इसकी शुरुआत की थी। इसका
मकसद विदेशी पूंजी पर घरेलू कंपनियों की अत्यधिक निर्भरता में कमी लाना भी था।
क्यूआईपी से पहले घरेलू बाजार से पूंजी जुटाने की जटिल औपचारिकताओं से बचने के लिए
कई कंपनियां विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉन्ड (एफसीसीबी) या ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट
(जीडीआर) के जरिए पैसे जुटाना पसंद करती थीं।
क्यूआईपी के तहत सिर्फ वैसे क्यूआईबी
को सिक्योरिटी जारी किए जा सकते हैं, जो खुद कंपनी के प्रमोटर नहीं हैं या
प्रमोटर से संबंधित नहीं हैं। क्यूआईपी का प्रबंधन सेबी में पंजीकृत मर्चेंट बैंकर
द्वारा किया जाता है। क्यूआईपी से पैसे जुटाने वाली कंपनी को इश्यू से पहले सेबी
के यहां किसी तरह का दस्तावेज जमा नहीं करना पड़ता है। प्लेसमेंट से संबंधित
दस्तावेज स्टॉक एक्सचेंज और कंपनी की वेबसाइट पर उपलब्ध कराया जाता है।
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