Monday 11 February 2019

भारत में क्रिकेट: तब और अब


एक स्वस्थ और आंनदमय जीवन में खेलों का उतना ही महत्त्व है जितना खेलों का मनोरंजक और रोमांचक होना | लोकप्रियता, दीवानगी और रोमांचकता के मामले में फुटबाल के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा लोकप्रिय खेल क्रिकेट है। क्रिकेट की रोचकता का अन्दाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब तक अंतिम गेंद नहीं डाली जाती, तब तक कुछ भी नहीं कहा जा सकता है | कई बार तो दोनों टीमों की जीत सिर्फ अंतिम गेंद पर ही टिकी हुई होती है | वर्तमान समय में क्रिकेट अब केवल खेल नहीं रहा, यह जुनून बन चुका है, इसमें अपार यश है, लोकप्रियता है और दौलत है। कभी गोरे अंग्रेजों का खेल कहलाने वाला क्रिकेट आज एशियाई देशों में आम आदमी की आत्मा में बस चुका है। भारत में इस खेल के प्रति जुनून का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह भारत की लगभग हर गली-गूचों, सड़कों और गांवों में खेला जाता है | भारत में क्रिकेट से दीवानगी इस कदर है कि इस देश में क्रिकेटरों की पूजा की जाती है| भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को तो क्रिकेट के भगवान का ही दर्जा दे दिया गया |

भारत में क्रिकेट की शुरुआत
यह तो एक शाश्वत सत्य है कि क्रिकेट की शुरुआत 16 वीं शताब्दी में इंग्लैंड में हुई, जो कि मौज-मस्ती या मन बहलाने के लिए खेला जाता था | बाद में यह खेल उन देशों में तेजी से बढ़ा, जो ब्रिटेन के उपनिवेश थे |
भारत में पहली बार 1721 में ईस्ट इंडिया कंपनी के नाविकों द्वारा बड़ौदा के पास कैम्बे में क्रिकेट खेले जाने की जानकारी मिलती है | साल 1792 में कलकत्ता क्रिकेट क्लब की स्थापना की गई। जहां आज ईडेन गार्डन मैदान है वहीं कलकत्ता क्रिकेट क्लब की शुरुआत हुई। इसके पांच सालों के बाद बॉम्बे (अब मुंबई) में पहले मैच का आयोजन हुआ । इस तरह सबसे पहले क्रिकेट खेलने वाला भारतीय शहर बॉम्बे बना। 18वीं शताब्दी के खत्म होते ही पारसियों ने भी इस खेल में अपनी रुचि दिखाई और ओरिएंट क्लब की स्थापना की | भारत में फर्स्ट क्लास क्रिकेट की शुरूवात 1864 में हुयी जो मैच अंग्रेजो द्वारा मद्रास क्लब और कलकत्ता क्लब के बीच खेला गया | 1895 में भारत में प्रेसीडेंसी मैचेज नाम से घरेलू टूर्नामेंट की शुरुआत हुई | इस टूर्नामेंट में पहला मैच यूरोपियों और पारसियों के बीच ही खेला गया।
प्रथम भारतीय क्रिकेट खिलाड़ीश्री रणजीत सिंह जी
भारत में सबसे पहले क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ी कुमार रणजीत सिंह जी थे | उस समय रणजीत सिंह अपने क्रिकेट करियर के चरम पर थे। श्री रणजीत सिंह जी को सभी अंग्रेज खिलाड़ी प्यार से रणजी कहकर पुकारते थे| रणजी का नाम क्रिकेट के महान बल्लेबाजो में से गिना जाता था, जिनकी आक्रामक बल्लेबाजी से विरोधी टीम पस्त हो जाती थी | रणजी लेट कटमें एक माहिर बल्लेबाज थे जिन्होंने लेग ग्लांसका भी अविष्कार किया था | 1896 में उन्होंने पहला मैच इंग्लैंड की तरफ से आस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला था |
साल 1907 में भारतीय लोगों ने अपनी टीम बनाई और यूरोपीय और पारसियों के साथ त्रिकोणीय श्रृंखला खेलना शुरू किया | वर्ष 1911 में एक ऑल इंडिया टीम ने पटियाला के महाराजा की अगुआई में इंग्लैंड का दौरा किया था। लेकिन उस दौरान हुए मैचों को कोई अधिकारिक मान्यता प्राप्त नहीं थी | धीरे धीरे यह खेल पूरे भारत मे लोकप्रिय हो गया।
भारत का टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण
भारत में किक्रेट का प्रचार-प्रसार करने के लिए 1928 में बोर्ड ऑफ़ कंट्रोल फ़ॉर क्रिकेट इन इंडिया (बीसीसीआई) की स्थापना हुई। भारत ने टेस्ट क्रिकेट में पहला क़दम इंग्लैंड के विरुद्ध लॉर्ड्स के मैदान पर  सन् 1932 में रखा था। इसी साल भारत को टेस्ट देश का दर्जा हासिल हुआ। इस टेस्ट में भारतीय टीम के कप्तान सी0 के0 नायडू थे। एक टेस्ट की शृंखला में भारत यह टेस्ट 158 रन से हारा। इसी टेस्ट मैच में अमर सिंह पहला अर्धशतक लगाने वाले भारत के पहले खिलाड़ी बने थे | उस समय टेस्ट तीन दिनों का हुआ करता था | टेस्ट मैचो में भारत की ओर से गेंद फेंकने वाले पहले गेंदबाज मोहम्मद निसार थे | भारत के लिए पहला टेस्ट विकेट (इंग्लैंड के होम्स का) भी मोहम्मद निसार ने ही इसी टेस्ट में लिया था | 1952 तक भले ही टेस्ट मैचों में भारत के हाथों से जीत फिसलती रही लेकिन भारतीय क्रिकेटरों ने अपने अविस्मरणीय प्रदर्शनों से क्रिकेट जगत में धूम मचाये रखा | टेस्ट क्रिकेट में भारत की ओर से पहला शतक लाला अमरनाथ ने 1933-34 में मुम्बई में इंग्लैंड के विरुद्ध बनाया था| विदेशी धरती पर भारत के लिए पहला शतक बनाने वाले बल्लेबाज मुश्ताक अली थे उन्होंने यह शतक 1936 में इंग्लैंड के विरुद्ध मैनचेस्टर टेस्ट में बनाया था| टेस्ट मैच की दोनों पारियों में शतक बनाने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज विजय हजारे थे|
उन्होंने यह शतक (116 रन और 145 रन) 1947-48 में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध एडिलेड टेस्ट में बनाए थे| साल 1934 में बीसीसीआई ने भारत के राजकुमारों और रियासतों के मध्य एक राष्ट्रीय टूर्नामेंट का आयोजन किया। इसी टूर्नामेंट का नाम भारत के महान खिलाड़ी के एस रणजीत सिंह के नाम पर रणजी ट्रॉफी पड़ा। इसके अलावा बोर्ड ने अंतः विश्वविद्यालयीन प्रतियोगिताओं की शुरुआत भी की।
आजादी के बाद भारतीय क्रिकेट
भारत को पहली टेस्ट जीत आजादी के बाद 1952 में इंग्लैंड के खिलाफ हासिल हुई थी। भारत ने मद्रास में इंग्लैंड को एक पारी से हरा दिया था | इंग्लैंड के साथ भारत यह टेस्ट श्रृंखला तो नहीं जीत पाया| लेकिन पहली टेस्ट श्रृंखला-जीत का यह इंतजार तुरंत ही समाप्त हो गया जब लाला अमरनाथ की कप्तानी में ही 1952-1953 में पाकिस्तान के खिलाफ खेली गई पहली टेस्ट श्रृंखला को भारत ने जीत लिया | इसके बाद पूरे 50 के दशक में कई टेस्ट श्रृंखलाओं में हार के बावजूद भारत ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और धीरे-धीरे क्रिकेट जगत में अपनी धमक बनाता गया |
विजय हजारे, विनू मांकड, गुलाम अहमद, पॉली उमरीगर, हेमू अधिकारी, दत्ता गायकवाड़, पंकज रॉय, गुलाब राय रामचन्द जैसे क्रिकेटरों ने अपने प्रदर्शनों से भारतीय क्रिकेट को मजबूती प्रदान की | पॉली उमरीकर पहले भारतीय बल्लेबाज थे जिन्होंने टेस्ट मैचो में दोहरा शतक लगाया था | उन्होंने यह उपलब्धि 1955-56 में हैदराबाद में न्यूजीलैंड के विरुद्ध प्राप्त की थी| 
1959-60 में भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने जेड. ई. ईरानी, जो भारतीय क्रिकेट बोर्ड के आजीवन सदस्य थे, के नाम पर ईरानी ट्रॉफी की शुरुआत की जो रणजी चैंपियन और शेष भारत की टीम के बीच खेला जाता है| 
1960 के दशक में भारतीय क्रिकेट
1960 के दशक में भारतीय क्रिकेट टीम में सुधार होने लगा और 1961-62 में इंग्लैंड के खिलाफ पहली बार टेस्ट श्रृंखला में जीत ली| भारतीय टीम ने विदेशी धरती पर पहली जीत मंसूर अली ख़ान पटौदी, जिन्हें टाइगर पटौदी भी कहा जाता था, के नेतृत्व में न्यूजीलैंड के खिलाफ 1967 में की थी| टाइगर पटौदी ने ही भारतीय टीम में तेज गेंदबाजों की कमी को पूरा करने के लिए चार स्पिनर्स या स्पिन क्वॉर्टेट का मशहूर फ़ॉर्मूला लागू किया जिसका परिणाम हमें 70 के दशक में देखने को मिला |
नारी कॉन्ट्रेक्टर, चन्दू बोर्डे, हनुमंत सिंह, सुभाष गुप्ते और बापू नादकर्णी इस दौर के प्रमुख क्रिकेटर रहे है| 1961-62 में ही घरेलू स्तर पर प्रथम श्रेणी के क्रिकेट के लिए कुमार दिलीप सिंह जी की याद में दिलीप ट्रॉफी की नींव रखी, जो भारत के भौगोलिक क्षेत्रों की टीमों के बीच खेला जाता है |
रन मशीन सुनील गावस्कर और स्पिन चौकड़ी की हेकड़ी
70 के दशक में भारतीय टीम की बागडोर अजीत वाडेकर ने संभाली और अपने पुराने सिपाही दिलीप सरदेसाई, और नए खिलाड़ी सुनील गावस्कर की अविस्मरणीय पारियों एवं भागवत चंद्रशेखर के बेहतरीन प्रदर्शन की मदद से नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया| भारत ने वेस्टइंडीज में अपनी पहली जीत दर्ज की और इसके तुरंत बाद उन्होंने इंग्लैंड में उसके खिलाफ भी सीरीज जीत ली | सुनील गावस्कर और गुंडप्पा विश्वनाथ जैसे करिश्माई बल्लेबाजों ने रनों का पहाड़ खड़ा करना शुरू किया और भारतीय बल्लेबाजी अभेद्य बन गई |
सुनील गावस्कर और गुंडप्पा विश्वनाथ
सुनील गावस्कर को 'लिटिल मास्टर' और 'रन मशीन' की उपाधि से नवाजा गया | दूसरी ओर भागवत चंद्रशेखर, बिशन सिंह बेदी, प्रसन्ना और वेंकट राघवन की चौकड़ी ने विपक्षी टीमों की नाक में दम करके रख दिया | भारतीय टीम ने एक दिवसीय (वनडे) क्रिकेट की दुनिया में अपने सफ़र की शुरुआत 1974 में की
| एक दिवसीय टीम के पहले कप्तान अजित वाडेकर थे | 1978 में भारतीय क्रिकेट को कपिल देव के रूप में तेज रफ़्तार, जिसके कारण उन्हें 'हरियाणा हरिकेन' कहा जाता था, मिली, जिसने अपनी घातक गति से दुनिया भर के बल्लेबाजों में खौफ पैदा कर दिया |
विश्व कप में बादशाह की शुरुआत
80 के दशक में कपिल देव के नेतृत्व में 1983 में भारतीय क्रिकेट टीम ने उस समय की ताकतवर और लगातार तीसरी बार विश्व कप की विजय की हक़दार मानी जाने वाली वेस्टइंडीज को हराकर एक दिवसीय मैचों का विश्व कप जीतकर धमाकेदार शुरुआत की और वेस्टइंडीज के साथ ही इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया के वर्चस्व को भी हिला दिया|
कपिल देव के आलावा मोहिंदर अमरनाथ, मदनलाल और रोजर बिन्नी के हरफनमौला प्रदर्शनों के बदौलत ने भारत ने सभी देशों को धूल चटा दिया| इस दशक में लगातार 28 टेस्ट मैचों में बिना किसी जीत के बावजूद भारत ने 1984 में एशिया कप और 1985 में आस्ट्रेलिया में हुए बेंसेन एवं हेजेज विश्व कप को भी जीत लिया, और एक दिवसीय मैचों का बादशाह बन गया | रविशास्त्री अपने हरफनमौला प्रदर्शन के बल पर चैम्पियन ऑफ़ चैम्पियंस बनकर उभरे| 1986 में भारत ने इंग्लैंड को उसकी धरती पर हराकर 19 वर्षों के बाद टेस्ट श्रृंखला जीत ली लेकिन अपनी ही जमीन पर 1987 में हुए रिलायंस विश्व कप जीतने में नाकामयाब रहा | इसी दशक में  सुनील गावस्कर टेस्ट क्रिकेट में दस हजार रन बनाने वाले दुनिया के पहले क्रिकेटर बने और रिकॉर्ड 34 शतक भी बनाए | कपिल देव भारत के पहले सफल ऑलराउंडर के रूप में उभरे जो उस समय तक 434 विकेट लेकर विश्व के सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले खिलाड़ी बने थे| लेकिन इस दशक के मध्य में मो.अजहरुदीन और दशक के अंत में सचिन तेंदुलकर ने भारती क्रिकेट ही नहीं, विश्व क्रिकेट में धमाकेदार आगाज किया | मो.अजहरुदीन ने अपने पदार्पण टेस्ट के साथ ही प्रथम तीन टेस्टों में तीन शतक जमकर विश्व रिकॉर्ड बना दिया |
सचिन तेंदुलकर: क्रिकेट का भगवान
90 के दशक में मो.अजहरुदीन की कप्तानी को सचिन तेंदुलकर की धुंआधार बल्लेबाजी का साथ मिला | उनकी कप्तानी में भारत घर पर बिलकुल नही हारा था लेकिन उनके मैच फिक्सिंग में शामिल होने के आरोप से भारतीय क्रिकेट के स्वर्णिम इतिहास पर एक धब्बा भी लगा | कपिल देव के सन्यास लेने के बाद तेज गेंदबाजी की बागडोर जवागल श्रीनाथ और वेंकटेश प्रसाद संभाली, वही स्पिन गेंदबाजी में अनिल कुंबले बल्लेबाजों के लिए खौफ बन गए | इस दशक में भारत ने घरेलू मैदानों पर 30 में से 17 टेस्टों में शानदार जीत दर्ज की| इस बीच सचिन तेंदुलकर, जिन्हें 'मास्टर ब्लास्टर' भी कहा गया, ने तकनीक और आक्रामकता की दृष्टि से सुनील गावस्कर को भी पीछे छोड़कर विश्व के सर्वकालिक महानतम बल्लेबाज बन गए | सचिन तेंदुलकर ने न केवल सुनील गावस्कर के सर्वाधिक शतकों और सर्वाधिक रनों के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ा, बल्कि टेस्ट और एक दिवसीय मैचों दोनों में कुल 100 शतकों के साथ 34000 से अधिक रन बनाकर आगामी बल्लेबाजों के लिए एक नया मानक भी निर्धारित कर दिया |
अपने निर्दोष और विस्फोटक शैली से तेंदुलकर ने क्रिकेट के सर्वकालिक डॉन ब्रेडमैन को भी अपना मुरीद बना लिया | सचिन तेंदुलकर को सौरभ गांगुली और राहुल द्रविड़ जैसे बल्लेबाजों का साथ मिला, जिसने भारतीय बल्लेबाजी को नयी ऊंचाई प्रदान की | इनके दम पर भारतीय टीम ने टेस्ट मैचों में घरेलू मैदानों पर अपने वर्चस्व को बनाए रखा और साथ ही विदेशों में भी बराबरी का टक्कर देना शुरू किया | लेकिन विश्व कप नहीं जीतने के बावजूद एक दिवसीय मैचों में एक प्रमुख शक्ति बनी रही | इस दशक के अंत तक भारतीय क्रिकेट पर मैच फिक्सिंग पर बदनुमा दाग भी लगा, जिसके कारण मो.अजहरुदीन और अजय जडेजा सहित कई खिलाडियों को क्रिकेट से प्रतिबंधित कर दिया गया |
2000 के बाद गांगुली की दादागिरी   
मैच फिक्सिंग के कलंकों के बीच सौरभ गांगुली ने भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी संभाली और साथ ही भारतीय क्रिकेट के इतिहास में पहली बार विदेशी कोच के रूप में न्यूजीलैंड के क्रिकेटर रहे जॉन राइट की नियुक्ति की गई | गांगुली और जॉन राइट की युगलबंदी ने भारतीय क्रिकेट के मिजाज को बदल दिया जो अब किसी भी स्थिति में जीत दर्ज करने की मानसिकता के साथ मैदान में उतरने लगी |
इसका परिणाम यह हुआ कि लगातार 15 टेस्ट मैचों में जीत के साथ विश्व-विजय पर निकली आस्ट्रेलियाई टीम से एक टेस्ट में मात खाने के बावजूद वीवीएस लक्ष्मण, राहुल द्रविड़, तेंदुलकर, कुंबले और हरभजन सिंह के जुझारू प्रदर्शनों के बल पर उसके विजय-रथ को रोक दिया | यही नहीं, 2003 विश्व कप में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराते हुए फाइनल तक का सफ़र पूरा किया | इस दौरान युवराज सिंह, जहीर खान, मोहम्मद कैफ, गौतम गंभीर, वीरेंद्र सहवाग और महेंद्र सिंह धोनी जैसे कई युवा खिलाडियों ने अपनी चुस्ती और स्फूर्ति से भारतीय टीम को एक नई ऊर्जा प्रदान की |
2002-03 में सुप्रसिद्ध क्रिकेटर विजय हजारे के नाम पर विजय हजारे ट्रॉफी की शुरुआत हुई जो सीमित ओवरों का रणजी ट्रॉफी है और राज्यों की टीमों के बीच खेला जाता है |
धोनी के धमाके
भारतीय क्रिकेट में महेंद्र सिंह धोनी का आगाज कतिपय शुरुआती असफलताओं के बाद धमाकेदार अंदाज में हुआ, जिससे लंबे समय से एक विस्फोटक विकेटकीपर-बल्लेबाज की भारतीय टीम की खोज पूरी हो गई | 2007 विश्व कप में भारतीय टीम के पहले ही दौर में बाहर हो जाने के बाद टीम बड़े बदलाव की जरुरत महसूस की गई | इसी दौरान विश्व क्रिकेट में सीमित ओवरों वाले एक नए फॉर्मेट टी-20(T20) का आगाज हुआ, जिसके विश्व कप का आयोजन भी 2007 में हुआ | भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने टी-20 के लिए युवा जोश और दमखम वाली टीम की जरुरत को ध्यान में रखते हुए महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में एक ऐसी टीम चुनी जिसमें वीवीएस लक्ष्मण, राहुल द्रविड़, तेंदुलकर, कुंबले जैसे धुरंधर नहीं थे | इस टीम के अधिकांश खिलाडियों के पास कोई बड़ा अनुभव नहीं था लेकिन अपने जोश और जुनून के दम पस इस टीम ने पहले ही टी-20 विश्व कप को जीतकर फिर से इतिहास रच दिया|
स्वयं महेंद्र सिंह धोनी ने बिजली जैसी स्फूर्ति के साथ विकेटकीपिंग का नया स्टैण्डर्ड स्थापित किया है जिसके नजदीक दुनिया का कोई भी विकेटकीपर अभी तक पहुँच नहीं पाया है| कोई इसके बाद महेंद्र सिंह धोनी को बाद में क्रिकेट के तीनो फॉर्मेट का कप्तान बना दिया गया जिनके नेतृत्व भारत ने 2011 में एक दिवसीय मैचों के आईसीसी विश्वकप को जीत लिया बल्कि 2007-2008 में कॉमनवेल्थ बैंक सीरिज, 2010 और 2016 में एशिया कप और 2013 में आईसीसी चैंपियन ट्रॉफी भी जीतकर विश्व क्रिकेट भारतीय क्रिकेट टीम की बादशाहत को पुनः स्थापित कर दिया | इस दौरान धाकड़ क्रिकेटर युवराज सिंह ने अपने हरफनमौला प्रदर्शन से अपना लोहा मनवाया | जहीर खान, वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर, इरफ़ान पठान, रविचंद्रन अश्विन ने क्रिक्रेट के सभी फॉर्मेट में उम्दा प्रदर्शन किया | यही नहीं, धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम ने टेस्ट मैचों में जो विश्व-विजय का अभियान शुरू किया, उस अश्वमेघ को 2016 के बाद विराट कोहली के नेतृत्व में भारतीय टीम आगे बढाने का काम कर रही है |
2008 में टेस्ट कप्तानी संभालने के बाद धोनी की टीम ने न्यूजीलैंड और वेस्टइंडीज को उन्ही की जमीन उन्हें परास्त किया | इसके साथ ही 2008, 2010 और 2013 में ऑस्ट्रेलिया को हराकर और बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी पर कब्ज़ा करते हुए धोनी ने 2009 में ICC टेस्ट रैंकिंग में पहली बार भारतीय टीम को नंबर एक स्थान पर पहुंचा दिया। धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम ने 2013 में टेस्ट श्रृंखला में ऑस्ट्रेलिया को व्हाइटवॉश करने करने वाली 40 से अधिक वर्षों में पहली टीम बन गई |
2008 में घरेलू स्तर पर भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने टी-20 को बढ़ावा देने के लिए आईपीएल(इंडियन प्रीमियर लीग) की शुरुआत की, जो देश के 8 शहरों की टीमों के बीच खेला जाता है जिनका स्वामित्व पूरी तरह से निजी हाथों में होता है और टीम का चुनाव देशी-विदेशी खिलाडियों की निलामी द्वारा किया जाता है| आईपीएल से न केवल क्रिकेटरों को अपार शोहरत और दौलत मिली बल्कि छोटे शहरों के प्रतिभावान क्रिकेटरों को उभरने का भी अवसर मिला | 
कोहली का विराट युग
2014 में टेस्ट और 2016 में एकदिवसीय कप्तानी से धोनी के स्वैच्छिक अवकाश लेने के बाद युवा विराट कोहली ने सभी फॉर्मेट में टीम का नेतृत्व संभाला | कोहली के नेतृत्व और महेंद्र सिंह धोनी के कुशल मार्गदर्शन में भारतीय टीम के विजय अश्वमेध आगे बढ़ता जा रहा है | रोहित शर्मा, शिखर धवन, भुवनेश्वर कुमार, जसप्रीत बुमरा, मोहम्मद शामी के विस्फोटक प्रदर्शनों के बल पर भारतीय टीम नया इतिहास रच रही है |
टेस्ट क्रिकेट के 87 वर्षों के अब तक के सफ़र में भारतीय टीम ने कुल 533 टेस्ट मैच खेले है, जिसमें उसे 150 में जीत और 165 में हार का सामना करना पड़ा है जबकि भारत ने कुल 961 एक दिवसीय मैच खेले हैं जिसमें 498 में जीत हासिल हुई है और 414 में हार का सामना करना पड़ा है | भारतीय टीम (Indian Test Cricket) का सर्वोच्च स्कोर 726 रन (9 विकेट पर घोषित ) रहा है जो दिसम्बर 2009 में मुम्बई में श्रीलंका के विरुद्ध बनाया था | दूसरी तरफ सबसे कम स्कोर 1974 में लॉर्ड्स के मैदान पर इंग्लैंड के खिलाफ केवल 42 रन बनाये थे |
आज हमारे देश में क्रिकेट एक जुनून,  दीवानगी और धर्म की तरह है और इसलिए ही शायद इस वक्त हम क्रिकेट में एक महाशक्ति हैं| आज भारत में हर माता-पिता चाहते है कि उनका बच्चा क्रिकेट खिलाडी ही बने | आज क्रिकेट हमारे राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बन गया है। लाला अमरनाथ से लेकर सुनील गावसकर, कपिल देव, तेंदुलकर, धोनी और विराट कोहली जैसे खिलाड़ियों की क्रिकेट उपलब्धियों पर गर्व किया जा सकता है।





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