Thursday, 25 September 2025

कोल्ड स्टार्ट' नाम सुनकर मत घबराइए


जो लोग अब भी यह मानते हैं कि भारत अमेरिका, चीन या यूरोप से 50 साल पीछे है, वे या तो वर्तमान भारतीय क्षमताओं की जानकारी नहीं रखते या फिर जान-बूझकर भारतीय उपलब्धियों को नज़रअंदाज़ करते हैं।
उनसे बस इतना ही कहना है कि: अरे हां हां, बहुत पीछे है जी… इतना पीछे कि बाकी देश मुड़-मुड़ के देख रहे हैं कि ये कब आगे निकल गया!
कोल्ड स्टार्ट' नाम सुनकर मत घबराइए, ये कोई टूथपेस्ट नहीं है,
ये वो रणनीति है जिससे अगर कभी दुश्मन की सुबह की चाय खून की प्याली में बदलनी हो — तो तीनों सेनाएं मिलकर उसे गरमागरम सर्व कर सकती हैं।
इस बार तो कहानी और भी दिलचस्प है: भारत अब सिर्फ बंदूक से नहीं, बटन दबा के बवाल मचाने की तैयारी में है।
ड्रोन
एंटी-ड्रोन
AI-नियंत्रित रीयल-टाइम टारगेटिंग सिस्टम
दुश्मन के सिग्नल जाम करने वाला गेमचेंजर
और हां, ड्रोन के पीछे ड्रोन भेजने वाली टेक्नोलॉजी भी
लेकिन कुछ ज्ञानी अब भी कहेंगे: भारत तो पीछे है जी, देखो अमेरिका का क्या सिस्टम है… हाँ जी, अमेरिका का सिस्टम इतना बढ़िया है कि वहां स्टूडेंट कैंपस में हथियार लेकर घूमते हैं और भारत का सिस्टम इतना "पीछे" है कि चंद्रमा पर जाकर खड़े होकर सेल्फी भी ले आया।
भारत की DRDO अब खिलौने नहीं बनाती, खेल बिगाड़ने वाले हथियार बनाती है।
और HAL, BEL और प्राइवेट स्टार्टअप्स अब “मेड इन इंडिया” नहीं, “मेड फॉर फ्यूचर वॉर” बना रहे हैं।
भारत अब ‘पीछे’ नहीं है — वो आगे निकल चुका है, बस कुछ लोगों की सोच अब भी डायल-अप इंटरनेट पर अटकी पड़ी है।

Thursday, 18 September 2025

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी @ 75: एक युग निर्माता की ऐतिहासिक विरासत

 17 सितंबर, 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 75 वर्ष के हो गए एक ऐसा मील का पत्थर जिसे भारत और दुनिया दोनों बड़े ध्यान और सरोकार से देख रहे हैं। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का नेतृत्व करने वाले इस नेता ने न केवल भारतीय राजनीति की धारा को बदल दिया है, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक परिदृश्य को भी गहराई से प्रभावित किया है।

अपनी सार्वजनिक सेवा के 24 वर्षों में, पहले गुजरात के मुख्यमंत्री और फिर भारत के प्रधानमंत्री के रूप में, नरेंद्र मोदी ने कई ऐसे निर्णय लिए हैं जो भारत के इतिहास में मील के पत्थर के रूप में दर्ज हो गए हैं। ये फैसले कभी साहसी, कभी विवादास्पद, तो कभी दूरदर्शी रहे, लेकिन सभी ने देश की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

नोटबंदी का साहसिक कदम, ऐतिहासिक जीएसटी सुधार, आतंकवाद पर एक नया सिद्धांत, प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को ऐसी दिशा दी है जो अब उनकी भाजपा को दुर्जेय शक्ति प्रदान करने वाला राजनीतिक ईंधन बन गया है। जैसे-जैसे देश और दुनिया प्रधानमंत्री के ऐतिहासिक जन्मदिन का जश्न मना रही है, यहाँ मोदी के कुछ ऐसे फैसलों पर एक नज़र डाल रहे है जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएँगे और उनके कार्यकाल के बाद भी लंबे समय तक देश की स्मृति में बने रहेंगे।

विमुद्रीकरण (2016)

स्वतंत्र भारत के सबसे नाटकीय आर्थिक कदमों में से एक, प्रधानमंत्री मोदी ने 8 नवंबर, 2016 को नागरिकों को मात्र चार घंटे का नोटिस देकर, रातोंरात 500 और 1,000 रुपये के नोटों को अमान्य घोषित कर दिया। इस कदम का उद्देश्य काले धन, जाली मुद्रा और आतंकवाद के वित्तपोषण पर अंकुश लगाना था।

हालाँकि नोटबंदी की प्रभावशीलता पर हमेशा ही बहस होती रहेगी, खासकर इसके कारण हुए व्यापक व्यवधान के कारण, लेकिन इस कठोर कदम ने सुधारों की दिशा में कठोर निर्णय लेने के प्रधानमंत्री के संकल्प को दर्शाया। इसके अलावा, इस व्यवधान ने भारत में डिजिटल भुगतान के लिए उत्प्रेरक का काम किया, जिससे यूपीआई को तेज़ी से विस्तार करने के लिए आवश्यक प्रोत्साहन मिला। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, अगस्त 2025 तक यूपीआई ने 20.01 बिलियन लेनदेन प्रोसेस किए, जो 9 वर्षों में 200,000 गुना की भारी वृद्धि है।

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधार

प्रधानमंत्री मोदी की सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान 1 जुलाई, 2017 को ऐतिहासिक वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू किया गया था। जीएसटी ने राज्य और केंद्र के कई करों को एक एकीकृत राष्ट्रीय कर में समाहित कर दिया। इसने "एक राष्ट्र, एक बाज़ार" की रूपरेखा भी स्थापित की और भारत में व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा दिया।

15 अगस्त, 2025 को, प्रधानमंत्री मोदी ने अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधारों की घोषणा की, जिसने 12% और 28% की दो स्लैब को समाप्त करके व्यवस्था को और सरल बना दिया। भारतीयों के लिए "दिवाली उपहार" कहे जाने वाले इस संशोधन को 22 सितंबर, नवरात्रि के पहले दिन से लागू किया जाएगा। कई स्लैबों को लेकर शुरुआती चिंताओं के बावजूद, जीएसटी को अब भी भारत की आज़ादी के बाद से सबसे परिवर्तनकारी आर्थिक सुधारों में से एक माना जाता है।

नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) (2019)

सीएए के पारित होने से भारत के नागरिकता ढांचे में एक ऐतिहासिक बदलाव आया, जिसने पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश से आए उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों-हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई-को त्वरित नागरिकता प्रदान की। समर्थकों द्वारा मानवतावादी और आलोचकों द्वारा बहिष्कारकारी बताकर इसकी सराहना की गई, इस अधिनियम ने मोदी कार्यकाल की सबसे ध्रुवीकरणकारी बहसों में से एक को जन्म दिया।

राम मंदिर समाधान और निर्माण (2019-2024)

2019 में, दशकों पुराने राम जन्मभूमि मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने उस बेहद संवेदनशील मुद्दे का पटाक्षेप कर दिया, जो भारतीय राजनीति में भाजपा के उदय की आधारशिला रहा है। इसने अयोध्या में एक भव्य मंदिर के निर्माण का मार्ग भी प्रशस्त किया, जिसे मोदी सरकार ने सक्रिय रूप से आगे बढ़ाया। प्रधानमंत्री मोदी ने 5 अगस्त, 2020 को मंदिर के शिलान्यास का नेतृत्व किया। चार साल बाद, उन्होंने एक भव्य समारोह में भव्य मंदिर का उद्घाटन किया, जिसने मोदी के नेतृत्व में भारत के धार्मिक जागरण का संकेत दिया। जनवरी 2024 का यह आयोजन न केवल ऐतिहासिक बना, बल्कि हाशिये से मुख्यधारा तक भाजपा की वैचारिक यात्रा का भी प्रतीक बना।

अनुच्छेद 370 का निरसन (2019)

मोदी सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक फैसलों में से एक के तहत जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठित कर दिया।

क्षेत्र की तनावपूर्ण सुरक्षा स्थिति को देखते हुए, इस साहसिक कदम को कई दलों की राजनीतिक प्रतिक्रिया और जम्मू-कश्मीर के भीतर व्यापक चिंताओं का सामना करना पड़ा। हालाँकि, छह साल बाद, इस फैसले को ऐतिहासिक माना जा रहा है क्योंकि इसने जम्मू-कश्मीर को भारतीय संघ में पूरी तरह से एकीकृत करने में मदद की। पिछले कुछ वर्षों में, केंद्र शासित प्रदेश में आर्थिक समृद्धि देखी गई है तथा आतंकवाद और पत्थरबाजी की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है।

तीन तलाक उन्मूलन (2019)

एकमुश्त तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को अपराध घोषित करके, मोदी सरकार ने मुस्लिम पर्सनल लॉ में एक लंबे समय से लंबित सुधार लागू किया। इस कदम की लैंगिक न्याय और महिला सशक्तिकरण के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में सराहना की गई, जिससे मुस्लिम महिलाओं को मनमाने तलाक के खिलाफ मज़बूत कानूनी सुरक्षा और संरक्षण मिला।

आतंकवाद पर नया सिद्धांत

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, भारत ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से निपटने में एक क्रांतिकारी दृष्टिकोण अपनाया है और हर बार जब भी आतंकवाद ने अपना कुरूप चेहरा दिखाया, पड़ोसी को करारा जवाब दिया है।

2016 में, मोदी सरकार ने उरी हमले के बाद पीओके में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक को अधिकृत किया। 2019 में, भारत ने पुलवामा हमले का जवाब बालाकोट में हवाई हमले करके दिया, जिसमें जाने-माने आतंकी शिविरों को नष्ट कर दिया गया। हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, जो आज भी हर भारतीय की यादों में ताज़ा है, सेना ने पाकिस्तान के भीतर नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर पहलगाम हमले का सफलतापूर्वक बदला लिया। इसके बाद चार दिनों तक चले गहन सैन्य संघर्ष में भारत ने पाकिस्तानी आक्रमण को विफल कर दिया तथा उसके रणनीतिक हवाई अड्डों पर अभूतपूर्व हमला किया - जिससे इस्लामाबाद को घुटने टेकने पर मजबूर होना पड़ा।

इनमें से प्रत्येक कार्रवाई ने पाकिस्तान को झकझोर कर रख दिया और एक स्पष्ट संदेश दिया: नया भारत आतंक के मूल पर प्रहार करेगा - और यही नई सामान्य स्थिति है। दोनों देशों के बीच पूर्ण युद्ध के कगार पर पहुँचने के बावजूद, मोदी सरकार ने आतंकवादियों और उनके आकाओं को कड़ा जवाब देने में कभी संकोच नहीं किया।

मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत

कार्यभार ग्रहण करने के तुरंत बाद शुरू किया गया, मेक इन इंडिया, देश को वैश्विक विनिर्माण केंद्र में बदलने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रमुख पहल के रूप में उभरा। कोविड-19 महामारी के दौरान इस दृष्टिकोण को नई गति मिली जब सरकार ने आयात पर निर्भरता कम करने, स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा देने और भारत को एक आत्मनिर्भर लेकिन वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करने के लिए आत्मनिर्भर भारत ढाँचा पेश किया।

इन सभी पहलों ने मिलकर भारत की औद्योगिक नीति और वैश्विक दृष्टिकोण को नया रूप दिया है। जब डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियों के कारण वैश्विक व्यापार में व्यवधान उत्पन्न हुआ, तो प्रधानमंत्री मोदी ने "आत्मनिर्भरता" के विचार को एक ढाल और एक रणनीति दोनों के रूप में अपनाया। स्वदेशी उत्पादों के लिए उनके निरंतर प्रयास, "स्थानीय के लिए मुखर" होने का आह्वान और आत्मनिर्भरता की मानसिकता के विकास ने भारत के लिए एक आत्मविश्वासपूर्ण मार्ग तैयार किया है, क्योंकि यह स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होने की ओर अग्रसर है।

Tuesday, 26 August 2025

संस्कृत काव्यशास्त्र

 1. अलंकार संप्रदाय के प्रतिष्ठापक आचार्य है =भामह

2. भरत मुनि ने कितने अलंकारों का उल्लेख किया है ?=4 1. उपमा 2. रूपक 3. दीपक 4. यमक

3. अलंकार रत्नाकर नामक ग्रंथ के रचयिता है =शोभाकर मित्र

4. दण्डी ने  गुणों की संख्या कितनी मानी है =10

5. आचार्य भोज ने  अनुसार गुणों की संख्या है =24

6. वामन ने  गुणों की संख्या मानी है =20

7. मम्मट,, भामह तथा आनंद वर्धन ने  गुणों  के भेद माने है =3

8. गुणों के प्रमुख भेद है =3 1. माधुर्य 2. ओज 3. प्रसाद

9. वृत्ति का सर्वप्रथम वर्णन किस ग्रंथ में मिलता है=नाट्यशास्त्र में

10. भारतीय काव्यशास्त्र में कितनी काव्य वृत्तियां मानी ग मानी गई है =3  1. परुषा 2. कोमल 3. उपनागरी

11. सर्वप्रथम दोष की परिभाषा किस आचार्य ने प्रस्तुत की=वामन ने

12. दंडी में कितने काव्य दोषों का वर्णन किया है =10

13. वामन ने कितने काव्य दोषों का वर्णन किया है =20

14. विश्वनाथ ने कितने दोषों का वर्णन किया है =70

15. काव्य दोषो का सर्वप्रथम निरुपण किस ग्रंथ में मिलता है =भारत कृत नाट्य शास्त्र में

16 दस के स्थान पर तीन काव्य गुणों की स्वीकृति प्रथम किस आचार्य ने की==भामह ने

17. प्रेयान नामक नवीन रस की उद्भावना किस आचार्य ने की।=रुद्रट

18. आलोक का हिंदी भाष्य किसने लिखा= आचार्य विश्वेश्वर ने

19. भावप्रकाश नामक ग्रंथ के रचयिता है=शारदातनय

20. दण्डी ने कितने काव्य हेतु माने है =3  1.  नैसर्गिकी प्रतिभा            2. निर्मल शास्त्र ज्ञान           3. अमंद अभियोग[अभ्यास]

21. रुद्रट और कुंतक ने कितने काव्य हेतु माने है =3 1. शक्ति           2. व्युत्तपत्ति           3.  अभ्यास

22. वामन ने कितने काव्य हेतु माने है =3                 1.  लोक, 2. विद्या 3. प्रकीर्ण

23. व्यंग के तारत्मय के आधार पर काव्य के कितने भेद माने जाते है  =3      1. ध्वनि  2.  गुणीभूत व्यंगचित्र 3.  चित्र

24. काव्यरुप(इंद्रियगम्यता) के आधार पर काव्य के कितने भेद है =2                   1.  दृश्य काव्य   2. श्रव्यकाव्य

25. दृश्यकाव्य[ रूपक] के कितने प्रमुख भेद है =10

26. श्रव्यकाव्य के कितने भेद हैं =3               1. गद्य, 2. पद्य 3. चंपू [ गद्य- पद्यमय काव्य]

27. लक्षणा के कुल कितने भेद माने जाते हैं =12

28. किस लक्षणा को अभिधा पुच्छभूता कहते है= रूढ़ि लक्षणा को

29. किस आचार्य ने लक्षणा के 80 भेदों का उल्लेख किया है =विश्वनाथ  ने

30. मम्मट ने लक्षणा के कितने भेदों का उल्लेख किया है =12

31. किस काव्य को चित्रकाव्य कहा जाता है =अधम काव्य को

32. बंध के आधार पर काव्य के कितने भेद हैं =2                     1.  प्रबंध, 2.  मुक्त्तक

33. पूर्वापर सम्बन्ध निरपेक्ष काव्य -रचना को कहते हैं=मुक्त्तक

34. पूर्वापर सम्बन्ध  निर्वाह -सापेक्ष रचना को कहते है =प्रबंध

35. संस्कृत में साहित्य के लिए किस शब्द का प्रयोग होता है =वाङ्मय

36. तात्पर्य  क्या है ==अभिधा,  लक्षणा, व्यंजना की तरह चौथे प्रकार की नई शब्द-शक्ति

37. भामह अभाववादी, कहलाते है क्योंकि उन्होंने काव्य में ध्वनि की सत्ता स्वीकार नहीं की है

38. प्रतिभा मात्र को ही काव्य का हेतु आवश्यक सर्वप्रथम किसने माना ==हेमचंद्र ने

39. गुणिभूत व्यंग के कितने भेद होते हैं =8

40. वाच्यता असह,,का अन्य नाम है ==रस ध्वनि

41. भरत ने हास्य रस के कितने भेद माने हैं =6

42. कुंतक ने वक्रोति के भेद व् उपभेद माने है =       6 भेद व  41 उपभेद

रस निरुपण

 

1. रस निरुपण के प्रथम व्याख्याता और रस निरुपण का प्रथम ग्रंथ किसे माना जाता है =

भरत मुनि व्  उनके नाट्यशास्त्र को

2. भरत ने 8 स्थाई भाव, 8 सात्विक भाव, 33 संचारी भावों का उल्लेख किया है|

3. किस आचार्य ने रीती को काव्य की आत्मा मान कर रस के गुण के अंतर्गत स्थान दिया है और कांति गुण का वर्णन करते हुए रस से युक्त माना है =वामन

4. आचार्य रुद्रट ने शांत रस का स्थाई भाव किसे माना है ===सम्यक ज्ञान

5. रस को ध्वनि के साथ युक्त करने का श्रेय किसे है ==आनंद वर्धन को

6. भोज ने 12 रसों का विवेचन किया है जिनमें चार नवीन है =प्रेयस=शांत=उदात्त=उध्दत

7. भोज ने रस का मूल  किसे माना है= अहंकार को

8. वाक्य रसात्मक काव्यम् कथन किसका है =विश्वनाथ का

9. आचार्य शुक्ल ने काव्य की आत्मा किसे माना है=रस को

10. भट्टलोल्लक ने रस की अवस्थिति किसमें मानी है=अनुकार्य में

11. किस आचार्य ने रस सूत्र की व्याख्या के संधर्भ में काव्य में तीन शक्तियों की कल्पना की = भट्टनायक ने

अभिधा =भावक्त्व= भोजकत्व **

12. अभिनव गुप्त रस को मानते हैं =व्यंग

13. किस आलोचक के मतानुसार साधारणीकरण कवि की अनुभूति का होता है =नगेंद्र के अनुसार

14. भारतीय काव्यशास्त्र में भावक से अभिप्राय है =सहदय् या आलोचक से

15. भावक(सहदय्) के कितने प्रकार माने गए है = 4

1 अरोचकी [विवेकी]             2 सतृणाभ्यव्हारि [अविवेकी]               3 मत्सरी [पक्षपात पूर्ण आलोचना करने वाला]

4 तत्त्वाभिनिवेशी

16. विभाव के कितने भेद हैं =2 [आलम्बन और उद्दीपन ]

17. आलंबन विभाव के कितने भेद हैं =2  1.  आलंबन  2. आश्रय

18. सात्विक अनुभाव की संख्या कितनी मानी गई है =आठ

19. आचार्य शुक्ल ने विरोध और अविरोध के आधार पर संचारियों  के कितने वर्ग किये हैं =चार

1. सुखात्मक 2. दु:खात्मक 3. उभयात्मक 4. उदासीन

20. श्रृंगार को मूल रस किस आचार्य ने माना है=भामह ने

21. भक्ति रस को मूल रस किसने माना है=मधुसूदन सरस्वती एव रूप गोस्वामी ने

22. शंकुक के अनुसार भरतमुनि के रस सूत्र में आये संयोग शब्द का अर्थ है =अनुमान

23. रस सिद्धांत के संबंध में तन्मयतावाद के प्रतिष्ठापक है= अभिनव भरत

24. एक के बाद एनी अनेक भावों का उदय होता है तो उसे कहते है = भाव सबलता

25. अवहित्था  और अपस्मार क्या है ?==संचारी भाव का एक प्रकार

26. किस आलोचक के मतानुसार साधारणीकरण कवि भावना का होता है =नगेंद्र

27. अभिधा, भावकत्व और भोग काव्य के तीन व्यापार किस आचार्य ने माने हैं =भट्टनायक ने

28. भाव-सन्धि, भाव सबलता तथा भाव -शांति किस भाव की प्रमुख स्थितियां है =संचारी भाव की

संस्कृत काव्यशास्त्र

 

1. वास्तविक काव्यलक्षण का प्रारंभ किस आचार्य से होता है जिन्होंने शब्द और अर्थ के सहभाव

(शब्दार्थो सहितौ  काव्यम )को काव्य की संज्ञा दी है == भामह से

2. शब्द अर्थ संगम सहित भरे चमत्कृत भाय।

 जग अद्भुत में अद्भुतहिँ ,सुखदा काव्य बनाए ||” पंक्ति है =ग्वाल कवि( रसिकानंद)

3. प्रतिभा के दो भेद (सहजा और उत्पाद्या ) किसने किये==रुद्रट ने

4. प्रतिभा को काव्य निर्माण का एकमात्र हेतु मानने  के कारण  किस आचार्य के प्रतिभावादी कहा जाता है =पंडितराज जगन्नाथ को

5. प्रतिभा के दो भेद कारयित्री और भावयित्री किस आचार्य ने किए हैं = राजशेखर ने

6. भावयित्री प्रतिभा किसमे होती है==सहदय् में

7. भारतीय काव्यशात्र में भावक, से अभिप्राय है?===सहदय् या आलोचक से

8. शरीरं तावदिष्टार्थ व्यवच्छिन्ना पदावलीकथन किसका है==दण्डी का

9. रीति सिद्धांत की उपलब्धि है ==शैली तत्वों को महत्व देना

10. वामन के अनुसार गुण और रिति का संबंध है =अभेद

11. आचार्य कुंतक के अनुसार वक्रोक्ति के कितने भेद हैे =6

12. व्क्रोक्ति सिद्धांत की महत्वपूर्ण उपलब्धि है===कलावाद की प्रतिष्ठा

13. कव: कर्म काव्यम् , (कवि का कर्म ही काव्य है ) कथन कुन्तक  का है

14. औचित्य विचार चर्चा ,ग्रंथ किस आचार्य का है =क्षेमेंद्र का

15.  क्षेमेंद्र के अनुसार औचित्य  के प्रधान भेद हैं===27

16. क्षेमेंद्र ने रस का प्राण किसे माना है = औचित्य को

17. ध्वन्यालोक, की टीका  ध्वन्यालोक लोचन किसने लिखी ==अभिनवगुप्त ने

18. ध्वनि सिद्धांत का प्रादुर्भाव व्याकरण के  स्पोट सिद्धांत से हुआ है

19. वैयाकरण ने वाक् (वाणी) के कितने प्रकार माने है?= 4       1परा, 2. पश्यंती, 3. मध्यम, 4. बैखरी

20. आनन्दवर्धन का समय है =नवीं शती का मध्य

21. आनन्दवर्धन ने व्यंग्यार्थ के तारतम्य के आधार पर काव्य के कितने भेद किये है==3

ध्वनि, गुणिभूत व्यंग,  चित्र

22. आनन्दवर्धन ने ध्वनि के कितने प्रकार माने है=3               वस्तु ध्वनि, अलंकार ध्वनि,रसध्वनि

23. आनंद वर्धन के अनुसार रीति के चार नियामक है =          वक्त्रोचित्य , वाच्योचित्य , विषयोचित्य , रसोचित्य

24. अभिनव गुप्त ने ध्वनि के कितने भेद किए हैं ==35

25. मम्मट ने  के ध्वनि के  शुद्ध भेदों की संख्या स्वीकार की है ==51

26. पंडित राज जगन्नाथ काव्य के कितने भेद किए हैं =4 उत्तमोत्तम=उत्तम=मध्यम=अधम

27. आचार्यो  ने व्यंग्यार्थ की प्रधानता गौणता एवं अभाव के आधार पर काव्य के कितने भेद किए हैं =3

उत्तम =मध्यम=अधम

28. आधुनिक काल के प्रारंभिक समय में से सेठ कन्हैयालाल पौद्दार ने काव्यकल्पद्रुम नामक ग्रंथ की रचना की जो आगे चलकर रसमंजरी और अलंकार मंजरी के रुप में प्रकाशित हुआ

29. ह्दय दर्पण नामक ग्रंथ की रचना किसने की =भट्टनायक ने

30. हिंदी वक्रोक्ति जीवित् की भूमिका किसने लिखी =नगेंद्र ने