जो लोग अब भी यह मानते हैं कि भारत अमेरिका, चीन या यूरोप से 50 साल पीछे है, वे या तो वर्तमान भारतीय क्षमताओं की जानकारी नहीं रखते या फिर जान-बूझकर भारतीय उपलब्धियों को नज़रअंदाज़ करते हैं।
उनसे बस इतना ही कहना है कि: अरे हां हां, बहुत पीछे है जी… इतना पीछे कि बाकी देश मुड़-मुड़ के देख रहे हैं कि ये कब आगे निकल गया!
कोल्ड स्टार्ट' नाम सुनकर मत घबराइए, ये कोई टूथपेस्ट नहीं है,
इस बार तो कहानी और भी दिलचस्प है: भारत अब सिर्फ बंदूक से नहीं, बटन दबा के बवाल मचाने की तैयारी में है।
ड्रोन
एंटी-ड्रोन
AI-नियंत्रित रीयल-टाइम टारगेटिंग सिस्टम
दुश्मन के सिग्नल जाम करने वाला गेमचेंजर
और हां, ड्रोन के पीछे ड्रोन भेजने वाली टेक्नोलॉजी भी
लेकिन कुछ ज्ञानी अब भी कहेंगे: भारत तो पीछे है जी, देखो अमेरिका का क्या सिस्टम है… हाँ जी, अमेरिका का सिस्टम इतना बढ़िया है कि वहां स्टूडेंट कैंपस में हथियार लेकर घूमते हैं और भारत का सिस्टम इतना "पीछे" है कि चंद्रमा पर जाकर खड़े होकर सेल्फी भी ले आया।
भारत की DRDO अब खिलौने नहीं बनाती, खेल बिगाड़ने वाले हथियार बनाती है।
और HAL, BEL और प्राइवेट स्टार्टअप्स अब “मेड इन इंडिया” नहीं, “मेड फॉर फ्यूचर वॉर” बना रहे हैं।
भारत अब ‘पीछे’ नहीं है — वो आगे निकल चुका है, बस कुछ लोगों की सोच अब भी डायल-अप इंटरनेट पर अटकी पड़ी है।
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