देश में ही नहीं, पूरी दुनिया में बहुत कारोबारी हुए हैं, और बहुत सारे आगे भी होते रहेंगे, लेकिन रतन टाटा एक ऐसा नाम है जिसने
अपने बिजनेस कौशल और दूरदर्शी सोच से भारत के कॉरपोरेट लैंडस्केप को एक ऐसा आयाम दिया,
जिसे हिंदुस्तान का कोई भी अन्य उद्योगपति उन्हें देखकर भी नहीं कर पाता है | भारत
की वायुसेना ने जब पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक किया था, तब भारत के बिजनेस जगत
के एकमात्र रतन टाटा ही थे जिन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और भारतीय वायुसेना को
बधाई दी और किसी भी सहयोग का वादा भी किया था |
टाटा समूह भरोसे लिए जाना जाता है,
जिसके कारोबार का मकसद सिर्फ मुनाफा कमाना ही नहीं होता है, बल्कि लोगो बिश्वास
हासिल करना होता है | टाटा ने ही बताया कि ब्रांड का मतलब भरोसा होता हो| भरोसा
प्रोडक्ट की क्वालिटी का, जिसके सहारे बुलंदियों पर पहुंचा जा सकता है | आज भले
रिलायंस समूह सबसे बड़ा बिजनेस समूह बन गया है लेकिन टाटा जैसा भरोसा हासिल करने के
मामले में मीलों पीछे है | हाल ही जब बीएसएनएल में टाटा ने सिर्फ निवेश किया है, तो लोगों को ये लगा कि उसे टाटा ने अधिग्रहण
कर लिया है | इसी आधार पूर्वांचल में बड़ी संख्या में लोगों ने अपना नंबर पोर्ट कर
बीएसएनएल का सिम ले लिया | यह टाटा पर भरोसा नहीं तो क्या है? रतन टाटा ने टाटा के
इस भरोसे को लोगों के प्रति सेवाभाव में बदल दिया | उनकी कोशिश यही रहती थी कि कोई
निराश नहीं | उन्होंने व्यवसाय को, उद्योगों को जन-सेवा की भारतीय सनातन परंपरा से
जोड़ने की मिसाल कायम की |
जब भारत में कोविड महामारी फैली, रतन टाटा ने तुरंत 500 करोड़ रुपए टाटा
न्यास से और 1000 करोड़ रुपए टाटा कंपनियों के माध्यम से महामारी और लॉकडाउन के
आर्थिक परिणामों से निपटने के लिए दिए। इसके अलावा, उन्होंने डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के रहने के लिए अपने लक्ज़री
होटलों का उपयोग करने की पेशकश करने वाले पहले व्यक्ति के रूप में भी सामने आए।
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