धर्मनिरपेक्षता
के नाम पर राजनीति का वीभत्स चेहरा
केंद्र सरकार द्वारा पशुओं की
खरीद-बिक्री के नए नियम तय करने के विरोध में केरल के कांग्रेसी
कार्यकर्ताओं द्वारा बछड़े को सार्वजनिक तौर पर काट कर उसका मांस
बांटने जैसा वीभत्स कृत्य घोर क्रूरता है, जो एक अपराध है| सरकार ने पशुओ के प्रति
होने वाले क्रूर व्यवहार से बचाने के लिए पशुओं की खरीद-बिक्री के जो नए नियम बनाये,
उसकी व्यावहारिकता की जाँच-पड़ताल किए बिना क्रूर गो-हत्या का प्रदर्शन करने वाले धर्मनिरपेक्षता के
नाम पर सियासी पाप का ही चेहरा उजागर हुआ है | यह देश
में गाय के नाम पर माहौल को बिगाड़ने की साज़िश है| यह देश के तथाकथित सेकुलर खेमे
द्वारा गाय के नाम पर भारत को बांटने का कुचक्र है |
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के
अनुसार नए नियम राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के इस आदेश के तहत बनाये गए हैं कि देशी
नस्ल के मवेशियों की आबादी में गिरावट को रोकने के लिए कोई राष्ट्रीय नीति बने। संविधान के
नीति-निर्देशक तत्वों में कहा गया है कि सरकार गायों और बछड़ों और अन्य दुधारू एवं
वाहक पशुओं के नस्लों को सुरक्षा प्रदान करे और उनके वध को निषिद्ध करने के लिए
आवश्यक कदम उठाएगा | जाहिर है यह देश में मीट कारोबार का नियमन करने के सरकारी
कोशिश है | लेकिन अनेक राज्यों ने पूरे देश में पशु व्यापार पर रोक लगाने के
केंद्र के फैसले पर नाराजगी जाहिर की है | नए नियम पशुओं की कालाबाजारी पर रोक
लगाने और उनके ऊपर होने वाली क्रूरता को रोकने में कितने सक्षम है या नहीं, यह बहस
और विमर्श का विषय अवश्य है| इस नियम से मीट और चमड़ा उद्योग और रोजगार को कितना
नुकसान होगा, यह आंकलन का विषय अवश्य है| केंद्र सरकार स्वयं ही पशुओं की
खरीद-बिक्री पर रोक की जटिलताओं को देखते हुए नियमों में बदलाव करने पर विचार कर
रही है| लेकिन कांग्रेस ने अपना राजनीतिक मकसद
साधने के लिए सार्वजनिक तौर पर एक असहाय जानवर को काट दिया। पूरी घटना का विडियो
बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड करना यह दर्शाता है कि देश की बहुसंख्यक आबादी की
भावनाओं या आस्था के साथ खिलवाड़ करने में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का आचरण और मानसिकता
कितनी असंवेदनशील और गैर जिम्मेदारना है| यदि कांग्रेस की यही धर्मनिरपेक्षता है
और समरस समाज के लिए विरोध का यही तरीका है तो यह भारतीय समाज को यह स्वीकार कर
लेना चाहिए कि कांग्रेस के लिए तुष्टिकरण ही धर्मनिरपेक्षता है और इसके लिए उसे
देश विभाजन से लेकर नरसंहार करने से भी परहेज नहीं है और केरल का घृणित कार्य उसकी
इसी नीति एक हिस्सा भर है| ऐसे कुकर्मों को न केवल मानवीय दृष्टि से अनुचित और न
संवैधानिक दृष्टि से इसे जायज ठहराया जा सकता है | दूसरी ओर पेटा जैसे संगठन, जो
जानवरों के प्रति अच्छे व्यवहार के पक्षधर है, और तथाकथित उदारवादी बुद्धिजीवियों,
जिन्होंने एक घोड़े के पैर में चोट लगने और टूट जाने पर हाय-तौबा मचा दिया था, ने
अचानक अनंत चुप्पी साध रखी है क्योंकि उनके लिए भी धर्मनिरपेक्षता और मानवीय
व्यवहार महज सेलेक्टिव होती है, जो उनकी शातिर मानसिकता का ही परिचायक है |
गोवध से जुड़ा वीडियो सामने आने के
बाद कांग्रेस भले ही चारों तरफ से घिरती हुई नजर आ रही हैं और शर्मसार महसूस कर
रही है लेकिन गो हत्या निषेध को लेकर उसका ऐतिहासिक पक्ष की ही परिणति मौजूदा
करतूत में हुई है | आजादी के बाद गो हत्या निषेध को लेकर अनेक प्रयास हुए |
अल्पसंख्यकों को खुश रखने के लिए कांग्रेस ने हर प्रयास को विफल कर दिया | 2
अप्रैल 1955 को कांग्रेस सांसद सेठ गोविंद दास ने गोहत्या पर
पाबंदी के लिए बिल लोकसभा में पेश किया था। तत्कालीन खाद्य मंत्री रफी अहमद किदवई
ने इस बिल का समर्थन किया था । लेकिन प्रधानमंत्री नेहरू ने धर्मनिरपेक्षता का
हवाला देते हुए धमकी दी कि "अगर ये बिल पास हुआ तो मैं इस्तीफा दे
दूंगा।"। 7 नवम्बर 1966 को गोपाष्टमी के दिन गौरक्षा से
सम्बन्धित संस्थाओं ने संयुक्त रूप से संसद भवन के सामने एक विशाल प्रदर्शन में
तत्कालीन सरकार से गौहत्या बन्दी का कानून बनाने की मांग की गई। गृहमंत्री गुलजारी
लाल नन्दा ने देश की बहुसंख्यक जनता की गौहत्या बन्दी की मांग को स्वीकार करने के
लिए प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को परामर्श दिया | लेकिन इंदिरा गांधी ने कठोरता से
कहा गौहत्या बन्दी का कानून बनाने से मुसलमान और ईसाई समाज कांग्रेस से नाराज हो
जायेंगे । इंदिरा गांधी ने प्रदर्शन खत्म कराने के लिए निहत्थे अहिंसक गो रक्षा प्रदर्शनकारियों
पर गोली चलवा दी जिसमें अनेकों साधुओं व गोरक्षकों की मृत्यु हो गई।
पशु बाजार नियमन के विरोध के बहाने
अराजकता और घोर संवेदनहीनता के प्रदर्शन को लेकर समाज के एक बड़े हिस्से ने जिस तरह से
नाराजगी जाहिर की है, उससे राजनीतिक लाभ की आकांक्षा उलटी पड़ गयी है | कांग्रेस
की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति कुख्यात ही नहीं रही है बल्कि धर्मनिरपेक्षता की
धारणा को विद्रूप करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है । इस
नृशंस कृत्य में शामिल कार्यकर्ताओं को कांग्रेस ने भले ही पार्टी से निकाल दिया
है और इस हत्या की निंदा कर रही है लेकिन इस गलती का खामियाजा कांग्रेस को चुकाना ही
पड़ेगा |
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